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SUCCESS STORY:-प्रधान पाठक एंव शिक्षिका के कडी मेहनत प्रयास के परिणामस्वरुप 0 दर्ज संख्या होने की ओर आगे बढने एंव संचालन बन्द होने के कगार पर पहुंचने वाला शासकीय प्राथमिक शाला ढेकुनाभांठा का दर्ज संख्या हो गया 20,,गांव से बाहर नीजी शाला मे पढने वाले बच्चो ने भी ली गांव के शासकीय प्राथमिक शाला मे प्रवेश,बच्चो को मिल रहा गुणवत्तायुक्त शिक्षा,,प्रेरणादायी कहानी जरुर पढिए…

सुनिल वर्मन@जांजगीर-चांपा(एचकेपी 24 न्यूज).शिक्षा सत्र 2018-19 के शुरुआती दिनो मे हिन्देश एजुकेशन हेल्थ एण्ड वेलफेयर फाउण्डेशन को डभरा क्षेत्र के ग्राम ढेकुनाभांठा से फोन आया।जिसमे बताया गया कि गांव के सरकारी प्राथमिक शाला मे सिर्फ 5-6 ही विद्यार्थी ही पढ रहे है ऐसा लग रहा है कि अगला वर्ष गांव का एक मात्र सरकारी शाला का दर्ज संख्या 0 होने की संभावना है।जब शाला मे दर्ज संख्या 0 होने की बात सामने आया।तो ऐसा नही होने देने के मंशा से वास्तविक जानकारी प्राप्त करने हिन्देश हिन्देश हेल्थ एण्ड वेलफेयर फाउण्डेशन के संस्थापक हिन्देश कुमार यादव तत्काल एचकेपी 24 न्यूज के साथ उक्त शाला सम्बंधित जानकारी प्राप्त करने ढेकुनाभांठा चले गये।तब श्री यादव को पता चला की शाला मे बच्चो के वर्तमान दर्ज संख्या 6 है।जिसमे का 2 बच्चे 5 वी पढ रहे है।जो अगला शिक्षा सत्र मे 6 वी पढेंगे।वही आंगनबाडी मे अगला वर्ष कक्षा 1 ली पढने योग्य बच्चो का नाम दर्ज नही है।उस स्थिति मे अगला शिक्षा सत्र 2019-20 के दौरान शाला का कुल दर्ज संख्या 4 होने का संभावना व्यक्त की गयी थी।अगर 1-2 बच्चे गांव का शाला मे पढने-लिखने से इंकार कर देंगे।तो फिर उस स्थिति मे सिर्फ 2-3 बच्चे ही शेष रह जाएंगे।वो शेष 2-3 बच्चे ज्यादा बच्चे नही है सोच कर शाला मे पढना चाहेंगे या नही यह सवाल सामने आ रहा था।ऐसा स्थिति मे शिक्षा सत्र 2019-20 मे शाला का दर्ज संख्या 0 होने का हम संभावना व्यक्त कर रहे थे।यहां से जैसे भी कर शाला का दर्ज संख्या 0 ना होने देने और शाला का दर्ज संख्या मे बढोत्तरी करने एक प्रयास शुरु की गयी।शाला मे पदस्थ दोनो शिक्षको दिगम्बर प्रसाद पटेल एंव श्री मति सुभद्रा पटेल ने संकल्प ली की जैसे भी कर अपने सरकारी प्राथमिक शाला का दर्ज संख्या मे बढोत्तरी लाना है।सबसे पहले चुनौती यह था कि गैर शिक्षकीय कार्य का निपटारा कैसे की जाए।जिसका निपटारा करने के लिए दोनो शिक्षको के मध्य समझौता हुआ कि जितने भी गैर शिक्षकीय कार्य होगा।उसका निपटारा का कार्य शिक्षक दिगम्बर प्रसाद पटेल करेंगे।वही शाला मे बच्चो को अच्छी शिक्षा उपलब्ध करावने एंव दर्ज संख्या बढाने का कार्य शिक्षिका श्री मति सुभद्रा पटेल करेगी।शाला मे दर्ज संख्या बढाने के लिए श्री मति सुभद्रा पटेल ने बच्चो को अलग-अलग तरिका से बढाने का कार्य को शुरु किया।श्री मति पटेल बच्चो के साथ मित्रता सा सम्बंध बना कर पढाने-लिखाने लगे।पाठशाला मे बच्चो को पढाने-लिखाने के साथ-साथ बच्चो के घर जाकर भी अच्छी तरह से पढाई-लिखाई करने आवश्यक मार्गदर्शन देने लगी।जिन-जिन बच्चो के पास पढाई-लिखाई करने के लिए आवश्यक सामग्री का कमी रहता था।तो उसका पूर्ति श्री मति पटेल करती थी।श्री मति पटेल का पहली लक्ष्य यह था की जैसे भी कर शाला मे पढने वाले बच्चो के परीक्षा परिणाम को बेहतर से बेहतर लाना है।ताकि शाला मे पढने वाले बच्चो के बेहतर परिणाम के बारे मे जन-जन को बता कर अन्य बच्चो को भी उनका शाला मे दाखिला लेने निवेदन कर सके।पाठशाला मे उपलब्ध शिक्षा सहायक सामग्रियो को 100%करती थी।जितना कार्य करने शिक्षक-शिक्षिका को मिलता है।उससे कही ज्यादा कार्य श्री मति पटेल करती थी।श्री मति पटेल बच्चो का एक शिक्षिका के साथ-साथ माता-पिता का जिम्मेदारी भी निभाने लगी।समय-समय पर श्री मति पटेल बच्चो का घर जाकर उनका भविष्य बेहतर बनाने को लेकर पालको से चर्चा करती थी।इससे श्री मति पटेल के प्रति पालको का विश्वास बढने लगा।श्री मति पटेल को लेकर पालकगण बोलने लगे कि शिक्षिका हमारे बच्चो का बहुंत ख्याल रख रही है।वो हम लोगो के भी जिम्मेदारी को निभा रही है।जिससे हमारा बच्चा अच्छी तरह से पढ-लिख पा रहा है।श्री मति पटेल बच्चो के हित मे अपना हर संभव प्रयास जारी रखी।जब परीक्षा हुआ.उसके पश्चात् परिणाम आया।तब बच्चो का परीक्षा परिणाम उम्मीद से बढ कर आया था।यहां पर श्री मति पटेल के बच्चो का बेहतर से बेहतर परिणाम लाने योग्य तैयार करने का प्रयास सफल हुआ।

परीक्षा परिणाम आने पश्चात् कक्षा 5 वी पढने वाले बच्चो का कक्षा 6 वी जाने तय हो गया।वही आंगनबाडी मे कक्षा 1 ली पढने योग्य बच्चा नही था।जिससे प्राथमिक शाला मे कुल दर्ज संख्या 4 होते नजर आ रहा था।ढेकुनाभांठा गांव का कुल जन संख्या करीब 800 है।जहां प्राथमिक शाला में पढने योग्य बच्चो का संख्या लगभग 25 है।वहां के अधिकांश बच्चे नीजी शाला एंव समीप के शंकरपाली का शासकीय प्राथमिक शाला मे पढ रहे थे।ग्रीष्म कालीन अवकाश के दौरान प्रत्येक बच्चा के घर जाकर चर्चा किया।उनके शाला के बच्चो का बेहतर परिणाम का जानकारी पालको को दिया।पालको को आश्वस्त किया कि उनका शाला मे बच्चो के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य की जा रही है।आप लोगो के बच्चो को अच्छी से अच्छी शिक्षा प्रदान करने हर संभव प्रयास की जाएगी।शिक्षिका श्री मति पटेल ढेकुनाभांठा के शासकीय प्राथमिक शाला का दर्ज संख्या बढाने लगातार पालको से सम्पर्क कर बच्चो को बाहर पढने भेजने के बजाय गांव मे ही पढाने लिखाने निवेदन करती रहती थी।श्री मति पटेल के लगातार प्रयास करने के परिणामस्वरुप पालकगण अपने बच्चो को पढने लिखने बाहर भेजने के बजाय गांव के ही शासकीय शाला मे पढाने-लिखाने को आपस मे विचार विमर्श करने लगे।उसके पश्चात् पालकगण श्री मति पटेल से मुलाकात कर अपने-अपने बच्चा को पढने के लिए बाहर भेजने के बजाय गांव के ही सरकारी शाला मे पढाने-लिखाने के लिए सहमति जताने लगे.गांव के बाहर प्राथमिक शाला का पढाई करने जाने वाले लगभग सभी बच्चे गांव का शासकीय प्राथमिक शाला मे पढाई-लिखाई कर रहे है।वर्तमान मे शासकीय प्राथमिक शाला का कुल दर्ज संख्या 20 है।इसमे 4 बच्चे पूर्व मे अध्ययन करने वाले है।वही 7 बच्चे शंकरपाली के शासकीय प्राथमिक शाला,3 बच्चे नीजी शाला,1 अकोल जमोरा के शासकीय प्राथमिक शाला से स्थानांतरण प्रमाण पत्र लेकर अपने गांव ढेकुनाभांठा का शासकीय प्राथमिक शाला मे प्रवेश लिया।वही 5 ऐसे बच्चे थे।जिनके माता-पिता उन बच्चो को कही भी पढाने को तैयार नही थे।लेकिन शिक्षिका श्री मति पटेल की निरंतर प्रयास करने के परिणामस्वरुप उन पांचो बच्चो के माता-पिता ने अपने-अपने बच्चा का नाम अपने गांव ढेकुनाभांठा के शासकीय प्राथमिक शाला मे दर्ज करवाया।जिस शासकीय प्राथमिक शाला के दर्ज संख्या 0 होने का संभावना शिक्षक-शिक्षिका के साथ ही ग्रामीण कर रहे थे।उस शाला मे शिक्षा सत्र 2019-20 यानी वर्तमान मे शिक्षिका एंव प्रधान पाठक के व्दारा आपसी सामंजस्य बैठा कर प्रयास करने के परिणामस्वरुप बच्चो का कुल दर्ज संख्या 20 हो गया है।शाला मे बहुंत ही बढिया तरिका से पढाया लिखाया जाता है।जिसके वजह से घर वाले अपने बच्चो के आंगनबाडी भेजने के बजाय शाला भेज देते है।ताकि उनका बच्चा शाला मे अच्छा-अच्छा करने कुछ सीखेगा सोच कर शाला मे बच्चो का उपस्थिति 100% रहता है।प्रधान पाठक एंव शिक्षिका ने मिल कर ढेकुनाभांठा के शासकीय प्राथमिक शाला का दर्ज संख्या को 0 होने के संभावना को समाप्त कर उम्मीद से बढ कर दर्ज संख्या को 20 करने मे सफलता अर्जित की है।इनका प्रयास सराहनीय है।जिन शासकीय शालाओ का दर्ज संख्या 1 अंक मे होगा।वो अपने शासकीय प्राथमिक शाला का दर्ज संख्या बढाने दिगम्बर प्रसाद पटेल एंव श्री मति सुभद्रा पटेल के प्रयास से सीख लेकर प्रयास करके सफलता अर्जित कर सकते है।शाला मे दर्ज संख्या 20 होने पश्चात् शिक्षिका श्री मति सुभद्रा पटेल कक्ष के दीवाल पर अलग-अलग पुरुस्कार प्रदान करने का जानकारी चस्पा की है।ताकि बच्चे पुरुस्कार को प्राप्त करने के लिए सक्रियता के साथ शाला आकर पढाई-लिखाई करे।शत्-प्रतिशत् शाला आने,अलग-अलग विषय से जुडी सवालो का जवाब लिखित एंव मौखिक मे सही-सही बताने पर पुरुस्कार प्रदान करने का जानकारी दीवाल मे चस्पा की गयी है।शाला का दर्ज संख्या बढाने प्रधान पाठक दिगम्बर प्रसाद पटेल एंव सहयोगी शिक्षिका श्री मति सुभद्रा पटेल ने जो-जो प्रयास किया।वो सराहनीय एंव प्रेरणादायी है.ऐसे शाला जहां का दर्ज संख्या 1 अंक मे है।वही दर्ज संख्या 0 होने की संभावना है।शाला के संचालन बन्द होने की संभावना है।वहां के शिक्षकगण श्री दिगम्बर प्रसाद पटेल एंव श्री मति सुभद्रा पटेल की तरह कडी मेहनत प्रयास कर अपने शाला का दर्ज संख्या बढा सकते है।अपने शाला सम्बंधित गांव के माहौल अनुसार योजनाबध्द तरिका से प्रयास कर शाला का स्तर ऊंचा करने मे सफलता अर्जित कर सकते है।

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