नई दिल्ली(एचकेपी 24 न्यूज)। चुनावी माहौल के बीच मर्यादा खोते नेताओं पर चुनाव आयोग सख्त हुआ है, उसने धर्म और जाति के नाम पर विवादित बयान देने वालों के खिलाफ कड़ा रवैया अपनाया है और इसलिए ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बसपा सुप्रीमो मायावती, केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी और सपा नेता आजम खान के चुनाव प्रचार पर 48 से 72 घंटे के लिए बैन लगा है। चुनाव आयोग के इस कदम पर देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने भी संतुष्टि जताई है।
चलिए जानते हैं चुनाव आयोग और उसके अधिकारों के बारे में विस्तार से….
भारत निर्वाचन आयोग ( Election Commission of India) एक स्वायत्त एवं अर्ध-न्यायिक संस्थान है जिसकी स्थापना 25 जनवरी 1950 को की गई थी। जब यह 1950 में गठित हुआ तब से और 15 अक्टूबर, 1989 तक केवल मुख्य निर्वाचन आयुक्त सहित यह एक एकल-सदस्यीय निकाय था।लेकिन 16 अक्टूबर, 1989 से 1 जनवरी, 1990 तक यह आर. वी. एस. शास्त्री और निर्वाचन आयुक्त के रूप में एस.एस. धनोवा और वी.एस. सहगल सहित तीन-सदस्यीय निकाय रहा जबकि 1 अक्टूबर, 1993 से यह तीन-सदस्यीय निकाय के रूप में काम कर रहा है, इसका मतलब यह है कि चुनाव आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते हैं।
देश के पहले चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन थे
देश के पहले चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन थे, वर्तमान में सुनील अरोड़ा मुख्य चुनाव आयुक्त और अशोक लवासा व सुशील चंद्रा चुनाव आयुक्त हैं, चुनाव आयोग लोकसभा चुनाव, विधानसभा चुनाव, राज्यसभा चुनाव, विधानमंडल चुनाव और राष्ट्रपति चुनाव कराता है जबकि दूसरे चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग कराता है।निर्वाचन आयोग का काम है कि वह निर्वाचन का पर्यवेक्षण, निर्देशन और आयोजन करवाये वह राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति, संसद, राज्यविधानसभा के चुनाव करता है।निर्वाचक नामावली तैयार करवाता है।राजनैतिक दलों का पंजीकरण करता है।राजनैतिक दलॉ का राष्ट्रीय, राज्य स्तर के दलॉ के रूप मे वर्गीकरण,मान्यता देना है।दलॉ-निर्दलीयॉ को चुनाव चिन्ह देना है।सांसद/विधायक की अयोग्यता पर राष्ट्रपति/राज्यपाल को सलाह देना है।गलत निर्वाचन उपायों का उपयोग करने वाले व्यक्तियॉ को निर्वाचन के लिये अयोग्य घोषित करना है।निर्वाचन आयोग की शक्तियां निर्वाचन विधियों की पूरक हैं।
यह आयोग चुनाव का कार्यक्रम निर्धारित कर सकता है चुनाव चिन्ह आवंटित करने और निष्पक्ष चुनाव करवाने के निर्देश देने की शक्ति रखता है।कोई शक्ति चुनाव आयोग को आदेश या निर्देश नहीं दे सकती।