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दुर्ग-बच्चों के रिजल्ट से खुलेगी शिक्षकों की पोल,अध्यापन कार्य का होगा मूल्यांकन…

दुर्ग(एचकेपी 24 न्यूज)।बच्चों का रिजल्ट से शिक्षकों की पोल खुलेगी। राज्य बच्चों के मिले अंक पर इस बार शिक्षकों की पढ़ाई का मूल्यांकन करने जा रही है। पहली से आठवीं तक के प्रत्येक बच्चों की ऑनलाइन रिपोर्ट मंगाई गई है।पहली से आठवीं तक की परीक्षा एससीईआरटी द्वारा सेट पेपर से ली जा रही है। परीक्षा का मूल्यांकन भी शुरू हो गया है। पहली से पांचवीं तक के बच्चों को हिन्दी, अंग्रेजी, गणित और पर्यावरण विषय की परीक्षाएं ली जा रही है। इसी तरह छठवीं, सातवीं और आठवीं के बच्चों का हिन्दी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विषय की परीक्षाएं हो रही है। इन परीक्षाओं के बाद उत्तरपुस्तिकाएं जांचने के साथ ही प्रत्येक विषय में एक-एक बच्चे को कितना अंक मिला है इसकी जानकारी भी राज्य ने मंगवाया है।स्कूल में पढ़ने वाले प्रत्येक बच्चे का नाम और उसने विषयवार कितने नंबर पाए यह ब्योरा भेजा जा रहा है। इस ब्योरे के हिसाब से राज्य यह देखेंगा। मसलन जेआरडी स्कूल में कक्षा पहली में 50 बच्चे पढ़ते हैं। 50 बच्चों ने गणित विषय में अलग-अलग अंक पाए। इन अंकों का औसत निकालेंगे। यदि इन बच्चों का औसत 35 से 40 प्रतिशत आया तो वहां के बच्चों को कमजोर माना जाएगा। साथ ही साथ इस स्कूल के गणित विषय के शिक्षक भी कमजोर श्रेणी में दर्ज होंगे। यदि इनमें से पांच बच्चों ने 100 अंक में 100 प्रतिशत रिजल्ट भी देते है तो भी शिक्षक की पढ़ाई को कमजोर आंका जाएगा। इसलिए कि औसतन पढ़ाई के स्तर का मूल्यांकन किया जाना है। इसी तरह हिंदी, अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान आदि शिक्षकों के अध्यापन का मूल्यांकन होगा।राज्य ने इस बार प्रदेशभर में एक ही पेपर सेट से पहली से आठवीं तक के बच्चों की परीक्षा ले रहा है। इस परीक्षा का मकसद ही है कि पूरे राज्य में सरकारी स्कूलों की बच्चों की स्थिति कैसी है इसका आंकलन कर सके। बच्चों के साथ शिक्षकों की पढ़ाई का आंकलन करने के पीछे भी मकसद है। कमजोर शिक्षकों को उस विषय की ट्रेनिंग देने की योजना बनेगी। ट्रेनिंग देकर शिक्षकों को अपडेट किया जाएगा और उन्हे पढ़ाई के तौर-तरीके सिखाए जाएंगे। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान चार साल चला और अभियान की रिपोर्ट के आधार पर कमजोर शिक्षकों को विषयों पर प्रशिक्षण दिया जा चुका है।राज्य द्वारा इस बार अध्यापन का मूल्यांकन कराने से शिक्षकों में भी हड़कंप की स्थिति है। परीक्षाएं लोकल हो रही है लेकिन एससीईआरटी द्वारा भेजे गए पेपर सेट देखकर शिक्षक ही घबराए हुए हैं। दरअसल ज्यादातर बच्चे इन प्रश्नपत्रों को ठीक से हल नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए स्कूलों में यही चर्चा है कि पेपर आऊट ऑफ कोर्स आएं है। कुछ स्कूलों में शिक्षकों की स्थिति यह है कि वे परीक्षा में बच्चों को सवाल हल करने की मदद करते भी नजर आए। मॉनीटरिंग टीम ने इसे इस स्थिति को देखा और उन शिक्षकों को केवल चेतावनी देकर चले आए।पहली से आठवी तक की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन भी शुरू करवा दिया गया है। मूल्यांकन एक संकुल से दूसरे संकुल में भेजकर वहां के शिक्षकों से करवाया जा रहा है। इसके लिए उत्तर पुस्तिकाएं भेजी गई है। दुर्ग जिले में 1 लाख 27 हजार 299 विद्यार्थियों की उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया जाएगा। पांचवी और आठवीं बोर्ड की तर्ज पर परीक्षाएं ली गई है। इसलिए इनकी उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन भी अलग तरीके से करवाई जा रही है। पांचवी 23 हजार 313 और आठवी के 24 हजार 78 बच्चों की उत्तरपुस्तिकाओं की जांच होगी।

परीक्षा देने वाले कक्षावार विद्यार्थी

कक्षा पहली- 11012

कक्षा दूसरी-12264

कक्षा तीसरी-12577

कक्षा चौथी-13589

कक्षा पांचवीं-23313

कक्षा छठवीं-14710

कक्षा सातवीं -15756

कक्षा आठवीं- 24078

इस बारे में एस प्रकाश, संचालक, लोक शिक्षण संचालनालय, छत्तीसगढ़ ने बताया कि हमने प्रत्येक जिले से स्थानीय परीक्षाओं का रिजल्ट कक्षावार और विषयवार मंगवाई है। ऑनलाइन रिजल्ट भरकर दे रहे हैं। बच्चों के रिजल्ट से शिक्षकों की पढ़ाई का भी मूल्यांकन करेंगे। कमजोर शिक्षकों को ट्रेनिंग की योजना है।

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