हिन्देश यादव(एचकेपी 24 न्यूज)।मंगलवार 23 अप्रेल 2019 को तृतीय चरण मे जांजगीर लोकसभा क्षेत्र मे मतदान होना है।प्रत्येक राजनीतिक दल अपने पाले में अधिक से अधिक लोगों का मत खींचने की कवायद में जुटा है।लेकिन कई मतदाताओं की मानसिकता कुछ ऐसी है,कि वे वोटिंग डे को हॉलिडे समझते हैं और अपने शक्तिशाली वोट को जाया कर देते हैं।इतिहास के पन्ने पलटें, तो पता चलता है कि लोकतंत्र में 1 वोट का क्या और कितना महत्व होता है।यह 1 वोट की ही ताकत थी कि दुनिया को हिटलर युग देखने पर विवश होना पड़ा,तो स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी जी को अपनी सत्ता गंवानी पड़ी थी।
एक वोट के महत्व को दर्शाने वाली कुछ ऐतिहासिक घटनाओं को लिख रहा हूं।जिसको पढ कर अपने 1 वोट का महत्व को अच्छा से समझ सकेंगे।वही अपने 1 वोट सदुपयोग जरुर करेंगे।
-1999 मे वाजपेयी सरकार गिरी…
वर्ष 1999 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 13 महीने पुरानी सरकार से जयललिता के नेतृत्व वाली अखिल भारतीय अन्नाद्रविड मुनेत्र कषगम (AIADMK) ने समर्थन वापस ले लिया। वाजपेयी ने संसद में विश्वास प्रस्ताव रखा।प्रस्ताव के पक्ष में 269 और विरोध में 270 वोट पड़े।इस तरह 1 वोट से वाजपेयी सरकार गिर गई।
-2008 मे मां और पत्नी ने वोट डाला होता,तो जोशी मुख्यमंत्री होते…
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2008 में कांग्रेस के दिग्गज नेता सी. पी. जोशी मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे।इस चुनाव में कांग्रेस ने 96 सीटें जीतीं थी।लेकिन जोशी सिर्फ 1 वोट से चुनाव हार गए।जोशी को 62 हजार 215 वोट मिले।जबकि उनके निकटतम् प्रतिद्वंद्वी भाजपा के कल्याण सिंह को 62 हजार 216 वोट हासिल हुए।राज्य में सरकार तो कांग्रेस की बनी।लेकिन जोशी पराजय के कारण मुख्यमंत्री नहीं बन सके।जोशी का दुर्भाग्य देखिए कि इस चुनाव में स्वयं जोशी की माता, पत्नी और ड्राईवर ने वोट नहीं डाला था। यदि इनमें से किन्हीं दो व्यक्तियों ने भी वोट डाल दिया होता, तो जोशी मुख्यमंत्री बन जाते।
-2004 में ड्राईवर ने कराई कृष्णमूर्ति की छुट्टी…
कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2004 में जनता दल (सेकुलर) यानी JDS उम्मीदवार ए. आर. कृष्णमूर्ति को कांग्रेस के के. आर. ध्रुवनारायण ने 1 वोट से हराया था।कृष्णमूर्ति को 40 हजार 751, जबकि ध्रुवनारायण को 40 हजार 752 वोट मिले थे। कृष्णमूर्ति के ड्राईवर ने छुट्टी होने के कारण वोट नहीं डाला।
-1878 में एक वोट ने रदरफोर्ड को रंक से राजा बना दिया…
1878 में अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव में रदरफोर्ड बी हायेस ने सैमुअल टिलडेन को 1 वोट से हरा कर राष्ट्रपति चुनाव जीता। रुदरफोर्ड को 185 वोट मिले, जबकि टिलडेन के वोटो का आंकड़ा 184 पर अटक गया।
1875 में फ्रांस में 1 वोट ने की लोकतंत्र का उदय…
फ्रांस में तो 1 वोट ने सत्ता और तंत्र का रूप ही बदल डाला। 1875 में 1 वोट की जीत से फ्रांस में राजाशाही समाप्त हुई और लोकतंत्र का उदय हुआ। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि 1 वोट की शक्ति कितनी होती है। यदि यह 1 वोट न होता, तो फ्रांस के लोग अब भी राजाशाही ढो रहे होते।
-1923 में एक वोट ने दी आतताई हिटलर…
जर्मनी के लोग 1 वोट की ताकत को बखूबी समझते-जानते हैं।क्योंकि 1923 में एडोल्फ हिटलर केवल 1 वोट की जीत से अपनी नाजी पार्टी का अध्यक्ष चुना गया और फिर जर्मनी का तानाशाह बना।हिटलर जैसा क्रूर तानाशाह 1 वोट की कमी ने दुनिया को दिया।जिसने नागाशाकी और हिरोसिमा को तबाह किया।
हमें आशा एंव विश्वास है कि आप अब अपने 1 वोट की कीमत अच्छी तरह समझ गए होंगे.वही लोकसभा चुनाव 2019 में अपने मतदान क्षेत्र में निर्धारित तारीख को अवश्य मतदान करेंगे।क्योंकि आपका 1 वोट देश का भाग्य विधाता बन सकता है।हम आप सभी मतदाताओं से यह भी अपील करना चाहेंगे कि नेताओ की ओर से किए जाने वाले लोकलुभावन वादों पर ज्यादा भरोसा न करते हुए विकास के नाम पर वोट देंवे।सोचें एंव देखें कि विकास के प्रति कौन-कौन सा नेता अधिक समर्पित है।उसी को वोट देंवे और देश की विकास यात्रा को आगे बढ़ाने में अपना सहयोग कीजिए।