हिन्देश यादव(एचकेपी 24 न्यूज विशेष)।प्रति वर्ष 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है।यदि आप शराब, बीड़ी, सिगरेट और तम्बाकू का सेवन नियमित कर रहे हैं तो संजीदा हो जाएं क्योंकि इससे टीबी जैसी घातक बीमारी का बैक्टीरिया जाग सकता है। शराब पीने वाले लोगों में टीबी होने का खतरा सामान्य लोगों के मुकाबले तीन गुना ज्यादा होता है। अक्सर देखा गया है कि शराब पीने वाले लोगों में लिवर सिरोसिस समेत पेट की अन्य बीमारियों के साथ ही टीबी के अधिक होने की संभावना होती है।
90 फीसदी लोगों में टीबी का बैक्टीरिया होता है :-
देश में 90 प्रतिशत लोगों में टीबी का बैक्टीरिया होता है, लेकिन यह शरीर में शांत पड़ा रहता है।जो लोग नियमित शराब व धूम्रपान करते हैं उनमें रोगों से लड़ने की ताकत कम हो जाती है। इसकी वजह से टीबी का बैक्टीरिया ताकतवर हो जाता है। जो शरीर पर हमला कर देता है और इंसान टीबी की चपेट में आ जाता है।शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कम होने की एक वजह ज्यादा शराब का सेवन। आंकड़ों की मानें तो शराब के लती लोग अधिक टीबी का शिकार हो रहे हैं।
ब्रेन टीबी जानलेवा हो सकता है :-
टीबी सिर्फ फेफड़े तक सीमित नही है। बल्कि रीढ़ की हड्डी और दिमागी टीबी (ब्रेन टीबी) तक हो सकती है। दिमागी टीबी में सिर में दर्द, धुंधला दिखाई देना, थकान व उल्टी आदि इसके प्रमुख कारण हैं। ब्रेन टीबी बच्चों और बुजुर्गों में बहुत खतरनाक होती है। इसमें शरीर लकवाग्रस्त होने के साथ ही रोशनी जाने का खतरा अधिक होता है। मरीज कोमा में चला जाता है।
ये है खतरा:-
टीबी का बैक्टीरिया शरीर के जिस हिस्से में होता है, उसके टिश्यू को पूरी तरह नष्ट कर देता है। इससे उस अंग का काम प्रभावित होता है। फेफड़ों में टीबी है तो फेफड़ों को धीरे-धीरे बेकार कर देती है। बच्चेदानी में है तो बांझपन की वजह बनती है। हड्डी में टीबी हड्डी को गला देती है। दिमाग में टीबी होने पर दौरे पड़ सकते हैं। लिवर में टीबी होने से पेट में पानी भर सकता है।
लक्षण:-
दो सप्ताह से ज्यादा लगातार खांसी और साथ में बलगम आना।
खांसी के साथ कभी-कभी खून आना।
भूख कम लगना।
लगातार वजन कम होना।
शाम या रात के समय बुखार आना।
सर्दी में भी पसीना आना।
सांस उखड़ना या सांस लेते समय सीने में दर्द होना।
टीबी के कारण:-
अधिक धूम्रपान।
शराब का सेवन।
साफ-सफाई न रखना।
प्रदूषित हवा में सांस लेना।
क्या है टीबी:-
टीबी एक संक्रामक रोग है, जो बैक्टीरिया के कारण होता है। यह बैक्टीरिया शरीर के सभी अंगों में प्रवेश कर रोग ग्रसित कर देता है। ये ज्यादातर फेफड़ों में ही पाया जाता है। लेकिन इसके अलावा आंतें, मस्तिष्क, हड्डियों, जोड़ों, गुर्दे, त्वचा, हृदय भी टीबी से ग्रसित हो सकते हैं।
बचाव:-
बच्चों को जन्म से एक माह के अंदर टीबी का टीका लगवाएं।
खांसते -छींकते समय मुंह पर रुमाल रखें।
रोगी जगह-जगह नहीं थूकें।
पूरा इलाज कराएं।
एल्कोहल और धूम्रपान से बचें।
बहुत अधिक मेहनत वाला काम न करें।
टीबी से बचाव के घरेलू उपाय:-
संतरे के जूस में नमक और शहद मिलाकर सुबह-शाम पिएं।
काली मिर्च फेफड़ों में जमा कफ और खांसी को दूर करती है। मक्खन में आठ से 10 काली मिर्च फ्राई करें, एक चुटकी हींग मिलाकर पीस लें। इस मिश्रण को तीन बराबर भागों में बांटकर दिन में सात-आठ बार लें।
अखरोट को पीसकर पाउडर बना लें। पाउडर में कुछ पिसे हुए लहसुन मिलाएं। अब इसमें घर में बना हुआ ताजा मक्खन मिलाकर खाएं।
कच्चे आंवले को पीसकर जूस बना लें। इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर रोजाना सुबह पीने से फायदा होगा।
एक पके केले को मसलकर नारियल पानी में मिलाएं। फिर शहद और दही मिलाएं। इसे दिन में दो बार खाएं।
लहसुन में सल्फ्यूरिक एसिड होता है, जो टीबी के कीटाणु को खत्म करने में अहम है। आधा चम्मच लहसुन, एक कप दूध, चार कप पानी को एक साथ उबालें। यह मिश्रण चौथाई रह जाए तो तीन बार पिएं।