आयुर्वेदिक चिकित्सालय का बुराहाल,नहीं मिल रहा ग्रामीण मरीजों को लाभ
सुनिल वर्मन(जांजगीर-चाम्पा)।गांवो में संचालित होने वाला शासकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय का वर्तमान वास्तविक स्थिति से रुबरु होने के मंशा से एचकेपी 24 न्यूज टीम जिले के अंतिम क्षोर की गांवो का दौरा किया।तब कुछेक को छोड कर अधिकांश गांवो में संचालित होने वाला आयुर्वेदिक चिकित्सालय स्वयं बीमार होने का जानकारी मिला।आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में चिकित्सको की कमी के कारण आयुर्वेदिक पद्घति से उपचार कराने वाले लोगों को औषधालयों से बैरंग लौटने मजबूर होने को पड़ रहा है।करीब आधा से अधिक आयुर्वेदिक चिकित्सालय मे चिकित्सक का अभाव है।अधिकांश चिकित्सक संविदा नियुक्ति पर कार्य रहे हैं।संविदा नियुक्ति सभी चिकित्सालयों में की गई थी।ऐसे स्थिति में ज्यादातर चिकित्सकों ने नौकरी छोड़ दिया था। कुछ अपने पढाई को आगे जारी रखने बाहर चले गये थे।वही कुछ नियमित नौकरी मिलने के कारण त्याग पत्र देकर चले गए थे।जिसके कारण आयुर्वेदिक चिकित्सालयो मे चिकित्सको का पद रिक्त हो गया।ऐसे में आयुर्वेद पद्घति से उपचार कराने वाले ग्रामीण मरीजों को परेशानी का सामना करने को पड़ता है।आयुर्वेद का अधिकांश औषधालय सहयोगी कर्मचारियो के भरोसे संचालित हो रहा हैं।वही कुछ आयुर्वेदिक औषधालय मे अधिकांश समय ताला लटके नजर आता है।जिसका कोई लाभ ग्रामीणो को नही मिल पा रहा है।चिकित्सकों की कमी के चलते आयुर्वेद ग्राम की अवधारणा भी प्रभावित हो रहा है।जिन गांवों में चिकित्सक का अभाव है।वहां शिविर के लिए दूसरे औषधालयों के चिकित्सक जरुर पहुंचते हैं।लेकिन औषधालय का पर्याप्त लाभ पाने से ग्रामीण वंछित हो रहे है।इस बारे मे ग्रामीणो के विचार जानने का प्रयास किया गया।तब ग्रामीणो ने कहा कि आयुर्वेदिक औषधालय महज शो पीस बन कर रहा गया है।जिसका कोई लाभ हमको नही मिल पा रहा है।ऐसे स्थिति मे समय एंव धन का अत्यधिक व्यय कर उपचार करवाने झोला छाप चिकित्सको का सहारा लेने मजबूर होने को पड रहा है।आयुर्वेद चिकित्सालयो में चिकित्सको की तैनाती नही होने के कारण मरीज वहां जाने रुची नहीं लेते हैं।यदि औषधालय पर चिकित्सक की तैनाती कर दी जाए।तब मरीजों की संख्या बढ़ जाएगा।क्योंकि आयुर्वेद उपचार को बहुंत ही कारगर मानी जाती है।इस ओर विशेष ध्यान देने बेहद जरुरी है।