रायपुर(एचकेपी 24 न्यूज)।केंद्र और राज्य सरकार की कई योजनाओं में बीपीएल कार्ड अनिवार्य होने की वजह से एक बार फिर लोग बीपीएल और एपीएल राशन कार्डों में उलझ कर रह गए हैं। चुनावी आचार संहिता की वजह से नए राशन कार्ड बन नहीं रहे और अफसरों के व्यस्त होने की वजह से पुराने कार्डों में कोई सुधार भी नहीं हो पा रहा है। फिलहाल यह भी तय हो गया है कि एपीएल परिवारों को 35 किलो चावल भी चुनाव के बाद ही मिलेगा। प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्जवला गैस समेत कई योजनाओं के साथ ही अभी शिक्षा के अधिकार के तहत स्कूलों में अभी बीपीएल राशन कार्डों का उपयोग होने की वजह से लोगों की भीड़ नए कार्ड बनवाने के लिए बढ़ी है। लेकिन सभी को वापस किया जा रहा है। इधर दूसरी बीपीएल सर्वे सूची को लेकर भी विवाद खड़े हो गया है। नई सरकार बनने के बाद यह तय हो गया है कि नए बीपीएल राशन कार्ड बनवाने के लिए फिर से सर्वे किया जाएगा। इसके लिए तैयारी भी पूरी हो गई है। खाद्य विभाग के अफसरों का कहना है कि चुनाव के बाद सर्वे का काम शुरू किया जाएगा। अफसर घर-घर जाकर नई सूची तैयार करेंगे।रायपुर जिले में 3 लाख 54 हजार 641 लोगों के पास राशन कार्ड हैं। कई कोशिशों के बाद भी खाद्य विभाग के अफसर अब तक इन सभी कार्डों को आधार नंबर से लिंक नहीं करवा पाए हैं। यह काम एक साल से भी ज्यादा समय से चल रहा है, लेकिन रायपुर जिले में 100 फीसदी पूरा नहीं हो पाया है। दोनों कार्डों में लिंक नहीं होने की वजह से भी लोगों को राशन नहीं मिल रहा है। जिले में सबसे ज्यादा 2 लाख 88 हजार 86 नीले कार्ड हैं। अंत्योदय गुलाबी राशन कार्ड 61945, अंत्योदय गुलाबी (निशुल्क) 4275 और सबसे कम स्पेशल गुलाबी कार्डों की संख्या 335 है।पिछली सरकार में दिल खोलकर लोगों के राशन कार्ड बनाए गए थे। राज्य में 55 लाख परिवार थे और 56 लाख से ज्यादा राशन कार्ड बन गए थे। जब इनकी जांच शुरू हुई तो तीन महीने से भी कम समय में करीब 96 हजार राशन कार्ड रद्द किए गए। राशन कार्ड रद्द होने का राज्यभर में विरोध शुरू हो गया। इसलिए जांच का काम बंद कर दिया गया और धीरे-धीरे एपीएल राशन कार्डों को जीरो कर दिया गया। इस कार्ड में लोगों को चावल-शक्कर देना बंद कर दिया गया। इसके बाद ही राशन कार्डों की संख्या कम हो गई।शिक्षा के अधिकार के तहत आवेदन करने वालों की परेशानी अभी भी खत्म नहीं हुई। ऐसे परिवार जिनके पास बीपीएल कार्ड तो है, लेकिन गरीबी रेखा की सर्वे सूची में उनके नाम नहीं है। इस वजह से ऑनलाइन आवेदन स्वीकार नहीं हो रहे हैं। ऐसे लोगों कि किसी भी तरह की मदद के लिए अफसरों ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। उनका कहना है कि इस सूची में अब कोई सुधार नहीं सकता है। नए सर्वे के बाद ही नए लोगों के नाम जोड़े जाएंगे। इसलिए ऐसे लोगों को अब अगले साल तक का इंतजार करना होगा।
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