नई दिल्ली(नई दिल्ली)।सोमवार से भारतीय वायुसेना की ताकत में इजाफा होने जा रहा है, क्योंकि अमेरिकी कंपनी बोइंग के बनाए चिनूक सीएच-47 आई हेलीकॉप्टर अब भारतीय वायुसेना में शामिल होने जा रहे हैं. चिनूक सीएच-47 आई हेवी लिफ्ट क्षमता वाला और एक एडवांस्ड मल्टी मिशन हेलीकॉप्टर है. जो कि लड़ाकू भूमिका में काफी काम आएगा और इससे भारतीय वायुसेना की शक्ति में इजाफा होगा. बता दें चिनूक में एकीकृत डिजिटल कॉकपिट मैनेजमेंट सिस्टम है, जिससे यह अलग-अलग भौगोलिक परिस्थितियों में भी सक्रिय भूमिका निभाता है.बोइंग सीएच-47 चिनूक डबल इंजन वाला हेलीकॉप्टर है, जिसकी शुरुआत 1957 में हुई थी. तब से लेकर अब तक करीब 26 देश इस पर अपना विश्वास जता चुके हैं. जिनमें वियतनाम युद्ध, ईरान, लीबिया और अफगानिस्तान जैसे देशों में यह हेलीकॉप्टर निर्णायक भूमिका निभा चुका है. चिनूक सीएच-47 आसानी से 11 हजार किलो तक के हथियार और सैनिकों को उठाने में सक्षम है. 315 किलोमीटर की रफ्तार से उड़ान भरने वाले इस हेलीकॉप्टर में कंपनी काफी कुछ बदलाव कर चुकी है. जिसमें कॉकपिट, रोटर ब्लैड और एडवांस्ड फ्लाइट कंट्रोल जैसे बदलाव शामिल हैं.
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Visuals of Chinook heavy-lift helicopters at Air Force Station 12 Wing, in Chandigarh. Indian Air Force to induct the first unit of four Chinook helicopters today.
बता दें ऊंचाई वाले हिमालयी क्षेत्रों में यह हेलिकॉप्टर काफी कारगर हो सकता है. क्योंकि इसे छोटे से हेलीपैड के साथ-साथ घाटियों में भी लैंड किया जा सकता है. चिनूक को सबसे पहली बार नीदरलैंड ने 2007 में खरीदा था और इसका पहला विदेशी खरीददार बना था, जबकि अमेरिका 1962 से इसका इस्तेमाल कर रहा है. वहीं 2009 में कनाडा ने और दिसंबर 2009 में ब्रिटेन ने इसके अपग्रेडेड वर्जन खरीदे थे. बता दें अमेरिकी कंपनी बोइंग से खरीदे गए चिनूक की मदद से ही आतंकी सरगना ओसामा बिन लादेन का खात्मा किया गया था.चिनूक सीएच-47 18 फीट ऊंचा और 16 फीट चौड़ा है. चिनूक के पायलटों की ट्रेनिंग अक्टूबर 2018 से ही शुरू हो गई थी. बता दें भारतीय वायुसेना के बेड़े में अब तक रूसी मूल के भारी वजन उठाने वाले हेलीकॉप्टर ही रहे हैं, लेकिन अब वायुसेना को अमेरिका में निर्मित हेलीकॉप्टर मिलेंगे, जो काफी एडवांस्ड हैं. जिससे भारतीय वायुसेना की शक्ति में भारी इजाफा होगा.