बिलासपुर(एचकेपी 24 न्यूज)।तीन साल गुजर गए लेकिन सरकार ने अपने ही विभागों की सुध नहीं ली। विभागों को न तो कोई योजना दी और न ही उसके लिए कोई फंड दिया। यही वजह है कि सर्व शिक्षा अभियान और शिक्षा विभाग के अफसर और कर्मचारी दिन भर खाली रहते हैं लेकिन उनके पास कोई काम नहीं होता।सर्व शिक्षा अभियान में योजना 2014 तक चली लेकिन उसके चार साल बाद अब तक कोई योजना इस विभाग में नहीं चल रही है और फंड भी सरकार से नहीं आ रहे हैं। यहां मिशन समन्वयक समेत पांच का स्टाफ है। विभाग को शिक्षा विभाग में ही मर्ज करने की तैयारी भी चल रही है। इसी तरह साक्षरता विभाग में भी अप्रैल 2018 से कोई योजना नहीं चल रही है। यहां सिर्फ तीन का स्टॉफ है। इसी तरह हसदेव आयाकट विभाग की शुरुआत वर्ष 1986 में हुई थी। उस वक्त विभाग को नहरों की लाइनिंग, नाले व नालियां आदि बनाने के लिए शुरू किया गया था। इनमें से अधिकांश काम जल संसाधन विभाग से संबंधित थे। उस वक्त यह काम जल संसाधन विभाग की ओर से नहीं होते थे और हसदेव आयाकट विभाग तब जल संसाधन विभाग समेत आरईएस व अन्य विभाग की निर्माण एजेंसियां थी। आजकल यह सारे काम संबंधित विभाग की ओर से ही होने लगे हैं।साक्षरता विभाग में शिक्षा विभाग के ही अधिकारी व कर्मचारी अटैच हैं। साक्षरता विभाग में कोई योजना लागू नहीं होने पर नियमत: अफसर व कर्मचारियों को उनके मूल विभाग में वापस बुला लेना था लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
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