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नई दिल्ली-जानें, आतंक की फैक्ट्री कैसे बना बालाकोट

नई दिल्ली(एचकेपी 24 न्यूज)।भारतीय वायुसेना ने पीओके समेत पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया है।

भारतीय वायुसेना ने पीओके समेत पाकिस्तान के बालाकोट में हवाई हमले किए हैं। जिस बालाकोट को भारतीय वायुसेना ने निशाना बनाया है, वह पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के मानसेहरा जिले में है। यह पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से करीब 160 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 2005 में आए भूकंप में यह शहर तबाह हो गया था। बाद में पाकिस्तान सरकार और सऊदी के एक संगठन की मदद से इस शहर को दोबारा खड़ा किया गया।

भौगोलिक स्थिति

बालाकोट पाकिस्तान का काफी खूबसूरत और पर्वतीय इलाका है। कागान घाटी की शुरुआती यहीं से होती है। बालाकोट कुन्हार नदी के तट पर स्थित है। यह सिंधु घाटी सभ्यता के चार प्राचीन शहरों में से एक है। इस इलाके में हिंदको और गुज्जरी बोली जाती है। गुज्जर, अवान, स्वाति, सैयद, तुर्क, मुगल और हांकी कबीले के लोग इस इलाके में रहते हैं।
आतंकी गतिविधियों का केंद्र
बालाकोट काफी समय से आतंकी और जिहादी गतिविधियों का केंद्र रहा है। रायबरेली के सैयद अहमद और शाह इस्माइल ने महाराजा रंजीत सिंह के सिख साम्राज्य के खिलाफ यहीं से जिहाद की शुरुआत की थी। भारत-पाक बंटवारे के बाद जिया उल हक के जमाने में यह आतंकी गतिविधियों का केंद्र बन गया। आतंकियों की पनाहगाह होने की वजह से यह अमेरिका के रेडार पर भी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुजफ्फराबाद से मानसेहरा, झेलम और कुछ दूसरे आसपास के इलाकों में पाक समर्थित आतंकी संगठनों को बसाने का काम पाकिस्तानी आर्मी कर रही है। इंटेलिजेंस रिपोर्ट का आकलन था कि इन कैंप में जैश-ए-मोहम्मद, हिज्बुल मुजाहिदीन और लश्कर ए-तैयबा जैसे संगठनों के 500 से अधिक आतंकी कैंप में ट्रेनिंग लेते हैं। भारतीय सेना के आज के जवाबी कार्रवाई में भी कई आतंकियों के मारे जाने की सूचना आ रही है।

आतंक का हेडक्वॉर्टर

एपी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मानसेहरा 1990 से आतंकी संगठनों का गढ़ बना है। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से यह इलाका काफी सटा हुआ है। इस्लामाबाद से वहां जाने में मुश्किल से चार घंटे लगते हैं। मानसेहरा इलाके में आतंक के पनपने में सरकारी मशीनरी का हाथ रहा है। यह इलाका पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) और हमारे कश्मीर से सटा हुआ है। पीओके से इसकी दूरी करीब 25 मील और कश्मीर से 45 किलोमीटर है। कश्मीर से नजदीकी को देखते हुए इसे आतंकियों के लिए ट्रेनिंग कैंप बनाया गया है। एपी के संवाददाता ने यहां के आतंकियों से बातचीत की थी। एपी को आतंकियों ने बताया कि उस इलाके में आतंकियों के ट्रेनिंग के तीन कम्पलेक्स हैं। कुछ आतंकियों ने बताया था कि मानसेहरा में जितने भी ट्रेनिंग कैंप हैं, वहां कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। शहरी इलाके में मस्जिद और मदरसे हैं। मस्जिद और मदरसों का इस्तेमाल जवानों का ब्रेनवॉश करने के लिए किया जाता है। उनको इस्लाम के लिए मरने-मारने को तैयार किया जाता है। जंगल के काफी अंदर हथियारों की ट्रेनिंग का बेस है। वहां भर्ती होने वाले युवाओं को ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग लेने वाले रंगरूट जंगलों में टेंट में रहते हैं। मानसेहरा में आतंकियों के लिए चार हफ्ते का कोर्स चलाया जाता है। इस दौरान उनको बुनियादी सैन्य कौशल सिखाए जाते हैं और गोरिल्ला युद्ध को लेकर प्रशिक्षण दिया जाता है। फिर उनको विस्फोटक आदि के बारे में प्रशिक्षण लेने के लिए पीओके भेज दिया जाता है।

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