जांजगीर-चाम्पा(सुनिल बर्मन)।मालखरौदा क्षेत्र में एक खारे पानी का गांव है।समुद्र किनारे के किसी गांव की बात नही हो रही है।हम उस गांव की बात कर रहे है।जहां के लोग अपने जन्म के पश्चात् से खारे पानी को लेकर खासे परेशान है।यह स्थिति मालखरौदा क्षेत्र के ग्राम खर्री में बना हुआ है।जहां का जन संख्या करीब एक हजार है।गांव पहुंचते ही स्कूल चौक के पास पानी के लिए महिलाओ और छोटे-छोटे बच्चो का बडी भीड दिखाई दिया।जो घड़ों में पानी भरने जुटे हुए थे।कुछ किशोर साईकिलों पर डिब्बा मे पानी भर कर अपने-अपने घर ले जा रहे थे।बहुंत अत्यधिक भीड देख कर हमारी टीम ने स्थानीय नागरिको से चर्चा किया।तब स्थानीय नागरिको ने बताया कि गांव मे अनेक लोगो का घर मे बोरवेल है।वही सार्वजनिक हैण्डपम्प भी है।सभीे हैण्ड पम्प एंव बोरवेल से खारे पानी निकलता है।इस समस्या का अस्थायी समाधान के लिए गांव से बाहर करीब दो किमी.दूर एक बोरवेल लगाया गया है।जहां से पाईप के माध्यम से पानी स्कूल चौक तक पहुंचता है।यही से लोग अपने-अपने घर पानी को ले जाते है।स्थानीय ग्रामीणो के अनुसार खर्री पथरीला गांव है।जहां जगह-जगह पर पत्थर निकलता है।जब से जान रहे है।तब से हैण्डपम्प एंव बोरवेल से खारा पानी निकलते देखते आ रहे है।ग्रामीण बताते है,कि करीब दो किमी.दूर गांव का बाहर से पाईप के जरिए पानी गांव मे आता है।उसी एक बोरवेल पर गांव के हजारो रहवासी पीने का पानी के लिए निर्भर रहते है।कई बार पानी गांव के स्कूल चौक तक नही पहुंचता है।तब गांव वालो को खेत का मेड के सहारा करीब दो किमी. दूर बोरवेल तक जाने को पडता है।वही बोरवेल को सही चालू हालत मे पाए जाने पर पाईप को जांच करने को पडता है।इससे बहुंत परेशानी होती है।बरसात में तो स्थिति बहुत बुरी हो जाती है।पानी स्कूल चौक तक नही पहुंचने के स्थिति में स्थानीय रहवासियों को घुटनों कीचड़ में नंगे पांव बोरवेल तक जाने को पडता है।कई बार मिट्टी में पैर फिसल जाते हैं।जिससे चोट भी लग जाती है।गांव के सभी जल स्त्रोत हैण्ड पम्प,कुंआ,बोरवेल से खारा पानी ही आ रहा है।
महिलाएं कहती हैं कि भगवान ही जानता है कि यह समस्या कब खत्म होगी.. हमारी पीढ़ी की महिलाओं ने तो बडी परेशानियों का सामना कर पानी लाकर गांव को पिलाते आ रहे है।लेकिन अब नए जमाने की बेटियां शायद ही ऐसा कर सकेंगी।कई बार बोरवेल मे खराबी आ जाने पानी नही मिलने पर पानी के लिए दूसरे गांव का भी सहारा लेने को पडता है।ग्रामीण बताते हैं कि खारे पानी की समस्या से पूरा गांव परेशान है।खारे पानी का उपयोग बमुश्किल ही हो पाता है।पानी अब तो इतना खारा आता है, कि इसका उपयोग नहाने और कपड़े धोने में भी नहीं कर पाते है।नहाने से हाथ–पैर भूरे पड़ जाते हैं।यदि इससे कपड़े धोते हैं,तो वे साफ नहीं निकल पाते है।वही थोड़े ही दिनों में फटने लगते हैं।यदि चाय बनाने में गलती से इस पानी की एक बूंद भी मिल जाता है।तस पूरी चाय ही खराब हो जाती है।ग्रामीणो के अनुसार गांव में पानी की कोई कमी नहीं है।जहां भी खुदाई की जाती है।वहां पानी निकलता है।लेकिन मीठा नही बल्कि खारा निकलता है।गांव के करीब ही एक छोटी नदी भी हैं।इसलिए पानी की कोई कमी नहीं है और न ही जलस्तर की कोई दिक्कत है।बस गांव के लोग खारे पानी की समस्या से ही त्रस्त हैं।हालांकि गांव बाहर के सभी जलस्रोत मीठा पानी देते हैं।लेकिन गांव के अन्दर के जलस्रोत से खारा पानी ही निकलता है।वृध्दो ने कहा कि महज एक बोरवेल से पानी आता है।जिसके कारण भीड मे बडी मुश्किल से पानी मिल पाता है।रोज-रोज भीड मे जाकर पानी लाने बहुंत दिक्कत होता है।इस दिक्कत से छूटकारा पाने के लिए एक दिन पानी लाते है।उसको तीन-चार दिन पीने मे उपयोग करते है।वही खारा पानी को पीने के स्थिति मे तबियत खराब हो जाता है।इसलिए खारा पानी को नही पीते है।ग्रामीणो ने कहा कि वर्तमान मे गांव के बाहर से सिर्फ एक बोरवेल के जरिए पाईप लाईन से लोगो को पानी प्रबंध करवाया जा रहा है।जो एक बोरवेल है।उसका संख्या मे वृध्दि करवाने बेहद जरुरी है।एक बोरवेल को बढा कर तीन बोरवेल लगाकर लोगो को पानी प्रबंध करवाया जाए।वही गांव मे जगह-जगह पर नल लगा दी जाए।तब सभी लोगो को साफ एंव मीठा पानी मिल सकेगा।वही पानी के लिए भीड भी जमा नही होगा।खारा पानी के समस्या से लोगो को राहत मिल जाएगा।अगर एक बोरवेल मे खराबी आ जाएगा।तब दूसरा और तीसरा बोरवेल चालू रहेगा।उस स्थिति मे पानी लोगो तक पहुंचते रहेगा।वही पानी समस्या सामने नही आएगा।जो एक बोरवेल कुछ खराबी के कारण बन्द रहेगा।उसको भी ठीक करवा सकते है।जिससे लगातार तीनो बोरवेल के जरिए ग्रामीणो को पानी मिल सकेगा।