हिन्देश यादव(एचकेपी 24 न्यूज)।हमेशा जोश और जुनून से सराबोर रहने वाली युवा पीढ़ी ही हमारे देश भारत का भविष्य है।युवा शक्ति ही हमारा देश भारत के सबसे बड़ा हथियार है।आज की युवा पीढ़ी को शायद अपनी ताकतों का अंदाजा नहीं है,कि वह अगर चाहे तो इस देश की सारी रूप-रेखा ही बदल सकती है। अपने हौसले और जज्बे से समाज में फैली सारी बुराईयों को जड़ से खात्मा कर सकती है।इन बातों से अंजान आज की युवा पीढ़ी अपने ही हाथों अपने जीवन और भविष्य को बर्बाद करने के रास्ते पर चल पड़ी है।बाहरी दिखावटों, पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित होकर अपने आदर्शो तथा संस्कारों को खोती चली जा रही है।जोश, जुनून, दृढ़ संकल्प, ईच्छाशक्ति, हौसले की जगह नशा, वासना, लालच, हिंसा उसके जीवन में शामिल हो गए हैं। दिन-प्रतिदिन आज की युवा पीढ़ी दिशाहीन होकर बुराई और अपराधों के गहरे गर्त में गिरती चली जा रही है।युवा पीढी को दिशाहीन बनाने वाले कुछ बुराईयो को अपने लेख के जरिए आप सभी से शेयर कर रहा हूं।लेख प्रभावशाली लगे,तो जरुर अधिक से अधिक युवाओ तक पहुंचाने का प्रयास कीजिएगा।जो-जो बुराईयां अपने लेख मे आगे लिखूंगा।अगर उन बुराईयो से युवा वर्ग दूरी बना लेते है।तब हमारा देश भारत बहुंत तीव्रता के साथ आगे बढ सकेगा।इसके साथ ही युवाओ का जीवन पूरी तरह से सुरक्षित रह सकेगा।जो हमारे देश भारत के लिए बहुंत अच्छी बात है।
नशा:-
एक हाथ में सिगरेट और दुसरे हाथ में शराब लिए पार्टियों में युवाओं को देखा जाना अब आम हो चला है।लड़के तो लड़के अब तो लड़कियां भी सिगरेट,शराब पीने में पीछे नहीं हैं।आज के युवाओं की पार्टी बिना नशे के अधूरी समझी जाती है।बडे-बडे शहरो की तर्ज पर अब यह कल्चर देश के छोटे-छोटे शहरों एंव गांवो में भी पैर पसारने लगा है। बात सिर्फ सिगरेट, शराब तक ही सीमित नहीं रह गई है।बल्कि गांजा, चरस, अफीम, भांग और ड्रग्स का भी उपयोग युवा वर्ग कर रहे है।मजे के लिए किया गया यह शौक कब उनकी जिन्दगी का अहम हिस्सा बन जाता है और कब वे इसकी गिरफ्त में आ जाते हैं।उन्हें पता भी नहीं चलता है। कल की चिंता छोड़ सिगरेट के धुंए के छल्ले उड़ाती आज की युवा पीढ़ी एक फुर्तीला चीता न होकर बीमार शेर बन कर रह गई है। जिसे सिर्फ नाम से जाना जाता है काम से नहीं जाता है।जो देश को प्रगतिशील बनाने मे नही बल्कि देश का प्रगति को रोकने का काम कर रहे है।वो समस्याओ को दूर करने के बजाय समस्याओ को बढाने का काम मे लगे है।जो हम सभी भारतवासियो के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है।
सेक्स:-
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि सेक्स जीवन का एक अभिन्न अंग है, लेकिन युवा वर्ग ने आज सेक्स की जो परिभाषा अपने जीवन में लागू कर ली है वह सही नहीं है। सेक्स भी उनके लिए एक नशे की तरह हो गया है जिसमें लिप्त होकर वे अपने सारे संस्कार, आदर्श भूल गए हैं। विदेशी संस्कृति के अनुसार हमारे देश में भी लिव इन रिलेशनशिप, एक से ज्यादा लोगों से शारीरिक संबंध बनाना, शादी से पहले सेक्स करना अब आम होने लगे हैं। लेकिन हमारे देश की संस्कृति और मान्यताएं आज भी इन्हें बुरा ही मानती है। आज के युवाओं के लिए सेक्स एक ऐसी लत बन चुका है जिसके लिए वे कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार हैं। उनकी यही लत अनेक रोगों के रूप में उभर कर आती है। जानलेवा बीमारी एड्स और अन्य यौन संक्रमण उनकी इसी लत का परिणाम है।
हिंसा:-
नशे, वासना के आदी आज का युवा हिंसक और गुस्सैल प्रवृत्ति का भी शिकार हो गया है। आए दिन उनके लड़ाई-झगड़े होते ही रहते हैं। देश में हो रही आपराधिक गतिविधियों में 70 प्रतिशत युवाओं की भागीदारी होती है। अपने बेकाबू गुस्से के चलते युवा किसी की जान लेने से भी नहीं चूकते। आज कितने ही युवा जघन्य अपराधों के दलदल में फंसते ही चले जा रहे हैं। पढ़ने-लिखने और भविष्य संवारने की जगह वह अपनी लाइफ गुंडागर्दी करने, दहशत फैलाने, लोगों को परेशान करने में व्यतीत करते है। हिंसक होने के साथ ही आज कई युवा संस्कारविहीन भी हो गए हैं। बड़ों के लिए आदर, छोटों के लिए प्यार तो उनके मन में बचा ही नहीं है। आंखों पर अभिमान की पट्टी बांधे खुद को सारे संसार का शहंशाह मानने लगे हैं।
लालच:-
इन बुरी लतों के साथ-साथ आज के युवा लालची भी हो गए हैं। जितनी चादर उतने ही पैर पसारने की यह कहावत उन्हें बेमानी सी लगती है। उन्हें अपनी चीजों से कभी आत्मसंतुष्टि नहीं होती। उन्हें हमेशा दूसरों की चीजें ही भाती हैं। कई बार तो इन वस्तुओं को पाने के लिए वे किसी भी हद से गुजर सकते हैं। उनका यही लालच उन्हें अपराधी बना देता है। बदलते दौर की चकाचौंध उसे लालची और स्वार्थी बनाती जा रही है।
धैर्य की कमी:-
अधीरता लालच की जननी है। और यही आज के युवाओं की सबसे बड़ी कमजोरी है। धैर्य की कमी के कारण आज का युवा सब चीज बस जल्द से जल्द पाना चाहता है। आगे बढ़ने के लिए वे कड़ी मेहनत करने की बजाय शॉर्टकट्स ढूंढने में लगे रहते हैं। कम समय में सारी आधुनिक चीजों को पाने के लालच में उनमें समझदारी की कमी नजर आती है। भोगविलास के आदी आज के युवाओं में उस लगन, मेहनत, जोश, उमंग और धैर्य की कमी है जिसके बलबूते पर स्वामी विवेकानंद ने युवाओं से उम्मीदें लगाई थीं।
यह सच है कि सारा युवा वर्ग इन बुराईयों की चपेट में नहीं है, यह भी सच है कि इसी देश के युवाओं ने अपना एक स्वर्णिम आकाश तैयार किया है, खेल से लेकर राजनीति तक और उद्योग से लेकर कला तक। लेकिन जो बुराई में जकड़े हैं, क्या वह इस देश की जिम्मेदारी नहीं है?युवाओ को जागना होगा।अपने अन्दर के बुराईयो का खात्मा कर देश का प्रगति मे योगदान देने के लिए सामने आने को पडेगा।देश को युवाओ का बहुंत जरुरत है।सभी युवा साथियो से अपील है,कि गलत कार्यो को करके अपने आप का खात्मा नही कीजिए।ऐसा कर आप देश के लिए बोझ नही बनिए।बल्कि पूरी ईमानदारी के साथ आगे आकर अपने देश के विकास का गति को बढाने मे भूमिका निभाईये।